बलिया। न्याय की आस में थाने का दरवाजा खटखटाना एक आम नागरिक का अधिकार है, लेकिन सोचिए, अगर वहीं उसके साथ अन्याय हो जाए तो वह कहां जाएगा ? ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला बलिया के उभांव थाना से सामने आया है, जहां अपने रिश्तेदार के विवाद में पहुंचे 'फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया' के पत्रकार चंदन कुमार को थाना इंस्पेक्टर राजेंद्र प्रसाद सिंह ने न सिर्फ बेरहमी से पीटा, बल्कि उन पर फर्जी मुकदमा लादने की भी कोशिश की। इस घटना से पूरे पत्रकार जगत में भारी आक्रोश फैल गया है।
मऊ जिले के बिलौझा निवासी पत्रकार चंदन कुमार अपने एक रिश्तेदार के जमीनी विवाद के सिलसिले में उभांव थाना पहुंचे थे। उनका आरोप है कि वे थानाध्यक्ष कक्ष में बैठे इंस्पेक्टर राजेंद्र प्रसाद सिंह से अपनी बात कहने के लिए लगभग दो घंटे तक इंतजार करते रहे, लेकिन इंस्पेक्टर साहब कुछ लोगों के साथ कोल्डड्रिंक पीने और बातचीत करने में मशगूल थे। जब घंटों इंतजार के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों, यानी डीआईजी और एसपी को दी।
पत्रकार चंदन कुमार का आरोप है कि एसपी को फोन करने के बाद इंस्पेक्टर राजेंद्र प्रसाद सिंह आग बबूला हो गए। उन्होंने जबरन पत्रकार को कोल्डड्रिंक पिलाई और फिर अंदर ले जाकर डंडे व लात से बेदर्दी से मारा। इतना ही नहीं, उन पर जातिसूचक गालियां बरसाई गईं और सबसे भयावह बात यह कि इंस्पेक्टर ने उनके हाथ में जबरन तमंचा पकड़ाकर फोटो खींचने की कोशिश की, ताकि उन्हें किसी फर्जी मुकदमे में फंसाया जा सके। हालांकि, पत्रकार ने तमंचा फेंक दिया।
इस शर्मनाक घटना के बाद पीड़ित पत्रकार चंदन कुमार ने पत्रकार संघ के साथ मिलकर बलिया के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को पत्रक सौंपकर आरोपी इंस्पेक्टर राजेंद्र प्रसाद सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पत्रकारों के साथ पुलिस के इस दुर्व्यवहार को लेकर स्थानीय पत्रकारों में भारी आक्रोश व्याप्त है और वे एकजुट होकर न्याय की मांग कर रहे हैं।
यह घटना एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली और आम नागरिकों के प्रति उनके व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या न्याय के मंदिर अब डर और उत्पीड़न के अड्डे बनते जा रहे हैं? इस मामले में उच्च अधिकारियों की निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई का इंतजार है, ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ सुरक्षित महसूस कर सके और आम जनता का पुलिस पर विश्वास बना रहे।