बलिया। जनपद के बेल्थरा रोड तहसील क्षेत्र के खंदवा गांव में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा के अनावरण को लेकर विवाद खड़ा हो गया। प्रशासन ने अनावरण से ठीक एक दिन पहले अनावरण कार्यक्रम पर रोक लगा दी। अनावरण कार्यक्रम पर रोक लगने से पटेल समाज में निराशा फैल गई है।
तीन मंत्रियों की मौजूदगी में होना था अनावरण
16 अप्रैल को प्रस्तावित इस अनावरण कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के तीन कद्दावर मंत्रियों कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, कैबिनेट मंत्री दयाशंकर सिंह और ओमप्रकाश राजभर के साथ-साथ आशीष सिंह पटेल और क्षेत्र के कई गणमान्य लोगों को मुख्य और विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम का आयोजन पटेल सेवा संस्थान, बेल्थरा रोड के सौजन्य से होना था और मंच निर्माण समेत सभी तैयारियां जोरों पर थीं। कार्यक्रम के निमंत्रण का एक बैनर भी लगाया गया था, जिसमें 16 अप्रैल को बेल्थरा रोड क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक दिन बताया गया था।
अनावरण से पहले गांव की एक महिला, कंचन देवी ने उपजिलाधिकारी को एक शिकायती पत्र सौंपकर मूर्ति स्थापना को रोकने की मांग की। महिला का आरोप है कि जिस भूमि पर प्रतिमा लगाई जा रही है, वह आराजी नंबर 1200, रकबा 0.914 हेक्टेयर है और सरकारी अभिलेखों में पशु चारागाह के रूप में दर्ज है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान प्रतिनिधि प्रतिमा स्थापना की आड़ में जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं।
महिला की शिकायत के बाद प्रशासन हरकत में आ गया। बेल्थरा रोड के एसडीएम अखिलेश कुमार यादव ने मौके पर पहुंचकर सरकार की मंशा का हवाला देते हुए मूर्ति के अनावरण पर रोक लगा दी। प्रशासन के इस कदम से कार्यक्रम की सभी तैयारियां धरी की धरी रह गईं और आयोजक तथा पटेल समाज के लोग हतप्रभ रह गए।
कार्यक्रम की अनुमति को लेकर उठे सवाल
इस संबंध में भारत मीडिया संवाददाता ने पटेल सेवा संस्थान के कोषाध्यक्ष से फोन पर बातचीत की, जिससे पता चला कि संस्था के नाम से न तो जमीन की रजिस्ट्री है और न ही कार्यक्रम के लिए कोई विधिवत अनुमति ली गई थी।
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि, जो पहले इस प्रतिमा स्थापना को अपने क्षेत्र की उपलब्धि बता रहे थे, प्रशासन द्वारा रोक लगाए जाने के बाद कुछ भी कहने से बच रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि यदि सरदार पटेल की प्रतिमा स्थापित करनी ही थी, तो क्या गांव के ग्राम प्रधान के पास ऐसी कोई बड़ी भूमि उपलब्ध नहीं थी और इस तरह की लापरवाही क्यों बरती गई, जबकि योगी सरकार पहले से ही चारागाह की जमीनों को खाली करा रही है।
इस गंभीर मसले पर बेल्थरा रोड के एसडीएम अखिलेश कुमार यादव ने स्पष्ट किया कि संगोष्ठी के लिए अनुमति जरूर ली गई थी, लेकिन चरागाह की भूमि पर मूर्ति का अनावरण करने की योजना थी। उन्होंने बताया कि मूर्ति स्थापना के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी और इस मामले में तहसीलदार न्यायालय से धारा 67 के तहत कार्रवाई की गई है।
इस घटना ने सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा स्थापना को लेकर प्रशासनिक प्रक्रियाओं और भूमि के चयन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।