देवरिया। आज शुक्रवार को राजेश सिंह दयाल फाउंडेशन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावनात्मक और पर्यावरणीय पहल “एक पेड़ मां के नाम” को आगे बढ़ाते हुए एक वृहद वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की गई।
इस अभियान की शुरुआत मइल, देवरिया से की गई, जिसमें सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र के बलिया और देवरिया की पांचों विधानसभाओं में 1 लाख औषधीय पौधे लगाने का संकल्प लिया गया।
इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं “उत्तर प्रदेश के मेडिसिन मैन” राजेश सिंह दयाल, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सिर्फ पौधे नहीं लगाए जाएंगे, बल्कि लोगों द्वारा उन्हें ग्रहण (adopt) कर उनकी देखरेख और संरक्षण की जिम्मेदारी भी ली जाएगी।
इस अवसर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई विशिष्ट अतिथियों ने शिरकत की, जिनमें प्रमुख रूप से शक्ति सिंह “सक्षम”, राष्ट्रीय महासचिव, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, इंद्रदेव निषाद, भाजपा मंडल अध्यक्ष, भागलपुर, दीनबंधु सिंह, पूर्व मंडल अध्यक्ष भाजपा, भागलपुर शामिल रहे।
मीडिया प्रतिनिधियों से बात करते हुए श्री दयाल ने कहा कि “मैं पिछले 30 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का सक्रिय सदस्य रहा हूं, और हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई हर जनकल्याणकारी योजना को सफल बनाना मेरा नैतिक कर्तव्य है। यह वृक्षारोपण अभियान सिर्फ पर्यावरणीय कदम नहीं है, बल्कि यह हमारी माताओं को समर्पित एक भावनात्मक पहल है।”
उन्होंने बताया कि नीम, आंवला और सहजन (मोरिंगा) जैसे औषधीय पौधों का चयन जनता के स्वास्थ्य और प्राकृतिक चिकित्सा को ध्यान में रखते हुए किया गया है। श्री दयाल ने यह भी साझा किया कि उन्होंने अब तक देवरिया और बलिया में 2 लाख से अधिक लोगों को निःशुल्क चिकित्सा और दवाएं प्रदान की हैं, और यह वृक्षारोपण उसी सेवा भावना का विस्तार है।
मीडिया द्वारा किए गए सवाल कि क्या यह पहल आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए की गई है ? तो श्री दयाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि “मेरा एकमात्र उद्देश्य समाज सेवा है, और इसमें किसी भी प्रकार की राजनीतिक मंशा नहीं है। मैं सिर्फ लोगों और प्रकृति के लिए कार्य कर रहा हूं।”
उन्होंने यह भी घोषणा की कि आने वाले महीनों में निःशुल्क चिकित्सा शिविर पुनः शुरू किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अब यह सेवा उनके स्वयं के अस्पताल के माध्यम से संचालित की जाएगी, क्योंकि पूर्व में संस्था से संबंधित अस्पताल द्वारा गरीब और असहाय लोगों पर भारी शुल्क लगाए जाने के कारण फाउंडेशन ने उसके साथ अपना सहयोग समाप्त कर दिया है।
यह आयोजन स्थानीय नागरिकों, समाजसेवियों और मीडिया की जोरदार भागीदारी के साथ संपन्न हुआ जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक जनआंदोलन के रूप में हरित क्रांति की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।