सूफी मोहिउद्दीन चिश्ती रहमानी का 26वां सालाना उर्स, अकीदत और भाईचारे का संदेश

बलिया। बलिया के पशुहारी शरीफ में सूफी मोहिउद्दीन चिश्ती रहमानी रहमतुल्लाह अलैह का 26वां सालाना उर्स अकीदत और मोहब्बत के साथ सोमवार को संपन्न हुआ। 
18 अगस्त (सोमवार) को हुए इस आयोजन में बड़ी संख्या में जायरीन, जिनमें हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल थे, ने शिरकत की।
दोपहर की नमाज के बाद गुस्ल, चादरपोशी और फातेहाखानी जैसी रस्में अदा की गईं। शाम को मिलादे शरीफ का आयोजन हुआ, जिसमें सूफी साहब की इंसानियत की शिक्षाओं पर रोशनी डाली गई। हाफिज नईम साहब ने अपनी तकरीर में बताया कि मज़ारों पर आने वाले 80% लोग हिंदू समाज से हैं, जबकि मुसलमान अक्सर मज़ार पर जाने से मना करते हैं। उन्होंने कहा कि लोग अपने गुनाहों को स्वीकार नहीं करते, लेकिन बुज़ुर्गाने दीन की बारगाह में पहुंचकर माफी मांगते हैं और नेक राह पर चलने का संकल्प लेते हैं।
इस वर्ष उर्स में एक खास वाकया हुआ। फरहदा उर्फ पुरा के रहने वाले मोहम्मद सत्तार रोते हुए सूफी बाबा के पास पहुँचे और उन्हें अपना शिष्य बनाने का आग्रह किया। उन्होंने बाबा की कमली थामकर शिष्यत्व स्वीकार किया, जिसे देखकर वहां मौजूद लोग दंग रह गए।
पिछले साल भी, सूफी साहब की एक बड़ी करामात देखने को मिली थी, जब उनके 25वें सालाना उर्स में आठ लोगों को उनकी शागिर्दी नसीब हुई थी। इनमें मनव्वर हुसैन, शब्बीर अहमद, इसरार अहमद, जुनैद अहमद, साजिदा परवीन, सद्दाम हुसैन, शहजाद हुसैन और रेहाना खातून शामिल हैं। उन्हें सूफी साहब ने दुनिया से जाने के 25 साल बाद अपनी मुरीदी में कबूल किया था।
सूफी साहब का जीवन और संदेश
सूफी हजरत मूल रूप से गाजीपुर के थे, लेकिन अपने शिष्य जहीर अहमद साहब के आग्रह पर वे बलिया के पशुहारी शरीफ आए। जहीर अहमद साहब ने अपनी निजी ज़मीन पर उनकी मज़ार बनवाई और आज भी पूरी लगन से उनकी सेवा कर रहे हैं।
मज़ार के खादिमों के अनुसार, सूफी साहब एक महान और सादगी पसंद बुजुर्ग थे। उनके जानशीन, हजरत रजी अहमद साहब ने बताया कि सूफी मोहिउद्दीन चिश्ती रहमानी 17 जून 1998 को इस दुनिया से रुखसत हो गए थे। यह सालाना उर्स उनकी याद और उनके इंसानियत के पैगाम को जिंदा रखने का एक जरिया है।
इस कार्यक्रम का संचालन सूफी साहब के शिष्य मनव्वर हुसैन ने किया। आयोजन में मुनीर अहमद मोमीन, अमीरुल अंसारी, नूरुल हुदा, डॉ. मोहम्मद असलम, हरेराम यादव, प्रभाशंकर राजभर, संजय यादव, जयप्रकाश बर्नवाल, घनश्याम शर्मा, ओमप्रकाश सिंह और गुंजन मौर्या सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।


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