बलिया में शाहपुर अफगां के पुरवा बहाटपुर में आजादी के 50 वर्षों बाद भी कोई रास्ता नहीं

समाजसेवी ई. शैलेंद्र ध्रुव ने दी आंदोलन की चेतावनी 

बलिया। आज़ादी के 75 साल बाद भी कई गाँवों में सड़क न होने की समस्या गंभीर है। इसके कारण ग्रामीणों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जैसे बरसात में आवाजाही बाधित होना, आपातकाल में समय पर एम्बुलेंस न पहुँच पाना, और बच्चों व बीमारों को ले जाने में परेशानी होना। 
आज समाजसेवी ई. शैलेंद्र "ध्रुव" ने एक ऐसे ही गांव की तस्वीर को सामने लाने का प्रयास किया है। इस तस्वीर में बलिया जिले के बेल्थरा रोड विधानसभा क्षेत्र के शाहपुर अफगां गांव का एक पुरवा बहाटपुर है। इस पुरवे में लगभग 50 घर हैं और लगभग 300 के आसपास यहां की आबादी है। यह पूरवा क्षेत्र के अन्य गांवों से पूरी तरह कटा हुआ है। बरसात के दिनों में यहां के लोग बाजार करने हेतु या किसी की बीमार पड़ने पर नाव से अपनी यात्रा कर संपर्क मार्गों तक जाते हैं। बरसात के दिनों में कई महीने यहां के छोटे-छोटे बच्चे विद्यालय भी नहीं जाते। कई बार इस मुद्दे को लेकर ग्रामीण जन प्रतिनिधियों सहित सरकारों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलते हैं। 
समस्याएं, प्रभाव
व बुनियादी सुविधाएं- 
शाहपुर अफगां गांव के इस पुरवे में पक्की क्या कच्ची सड़क भी नहीं है, जिससे लोग खेत की पगडंडियों से आने-जाने को मजबूर हैं।
सड़क न होने के कारण मरीजों को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सकता, जिससे कई बार जान भी चली जाती है। बच्चों के स्कूल जाने में कठिनाई होती है और कई बार तो सड़क की खराब हालत के कारण युवाओं की शादियां भी टूट जाती हैं।
सरकारी योजनाओं की अनदेखी-
ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित हैं और जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है।
सरकार और प्रशासन की भूमिका,
जनता की गुहार-
ग्रामीण कई बार सांसद, विधायक और जिला प्रशासन से सड़क बनवाने की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन संबंधितों द्वारा केवल मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेने और समस्या को सुलझाने का आश्वासन भर दिया गया।
आंदोलन की चेतावनी-
ई. शैलेंद्र "ध्रुव" ने क्षेत्रीय जन संघर्ष समिति के बैनर तले अब ग्रामीणों के साथ मिलकर सड़क की मांग को लेकर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। 
इस समस्या का समाधान सड़क निर्माण और बुनियादी ढाँचे के विकास के माध्यम से ही संभव है। इसके लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ जनता की सक्रिय भागीदारी भी ज़रूरी है। 
आप इस समस्या के बारे में अपनी जानकारी साझा कर सकते हैं।

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