बलिया के इसारी सलेमपुर की रामलीला में मेघनाथ वध, सती सुलोचना, अहिरावण वध का मंचन

बलिया। रामलीला कमेटी इसारी सलेमपुर के तत्वावधान में चल रही रामलीला में बृहस्पतिवार को मेघनाथ वध, सती सुलोचना, अहिरावण वध का सफल मंचन रात्रि 8 बजे से किया गया। 
रामलीला का संचालन टनमन सिंह (प्रबंधक) ने किया। रामलीला के प्रसंग को डॉo आदित्य कुमार 'अंशु' ने बताते हुए कहा कि - "जब रावण और मंदोदरी रंग महल में बैठे हुए थे तभी कुंभकरण का सिर आकर रावण के पास गिरा। रावण अपने भाई का सिर देखकर विलाप करने लगता है। क्रोधित रावण मेघनाथ, अतिकाय, नारातंक, देवांतक को युद्ध के मैदान में भेजता है जहां पर अतिकाय, नारातंक, देवांतक मारे जाते हैं। मेघनाथ निकुंभना देवी का यज्ञ करता है । विभीषण की सलाह पर वानर सेना यज्ञ को विध्वंस कर देती है। क्रोधित मेघनाथ अपनी पूरी सेना के साथ युद्ध में मारा जाता है। सुलोचना पति की मृत्यु के बाद सती होने के लिए पति के सिर को लाने के लिए रामदरबार में जाती है। सतीत्व का प्रमाण लेने के लिए वानर सेना कटे हुए सिर को सुलोचना से हंसाने के लिए कहती है। सुलोचना सती हो जाती है। तब रावण पाताल लोक से अपने पुत्र अहिरावण को बुलाता है और वो भी राम के हाथों मारा जाता है।"
अभिनय करने वालों में राम-शिवरंजन, लक्ष्मण-आशुतोष, हनुमान-राकेश, रावण-अनुज, विभीषण-रमेश मिश्र, मंदोदरी-रमेश सिंह, सुग्रीव-अभय , अंगद-छोटकन, सुलोचना-हीरामन, अहिरावण-संजीव, मकरध्वज-सृजन आदि प्रमुख रहे। 
सुधाकर लाल, स्वामीनाथ, छोटू सिंह, बंगाली सिंह, नमन सिंह, अफ़ज़ल अहमद आदि का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।


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